लेखनी कविता -हुस्न का जादू जगाए - फ़िराक़ गोरखपुरी

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हुस्न का जादू जगाए / फ़िराक़ गोरखपुरी हुस्न का जादू जगाए इक ज़माना हो गया. ऐ सुकूते१-शामे-ग़म फिर छेड़ उन आँखों की बात. ज़िन्दगी को ज़िन्दगी करना कोई आसाँ न था. ...

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